वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने हाल ही में ब्रह्मांड में मौजूद एक विशाल सुपरनोवा अवशेष SNR J0450.4-7050 पर गहराई से अध्ययन किया है। यह शोध 18 जून 2025 को arXiv प्रीप्रिंट सर्वर पर प्रकाशित हुआ, जिसमें बताया गया कि यह अवशेष पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा बड़ा और जटिल है। इस रहस्यमयी संरचना की पड़ताल के लिए वैज्ञानिकों ने कई सैटेलाइट्स और टेलीस्कोप्स का सहारा लिया और मल्टीवेव लेंथ ऑब्ज़र्वेशन के ज़रिए इसकी छवि को बेहतर तरीके से समझने का प्रयास किया।
सुपरनोवा अवशेष (Supernova Remnants या SNRs) वो विशाल संरचनाएं होती हैं जो किसी तारे के विस्फोट यानी सुपरनोवा के बाद बचती हैं। ये कई हजार सालों तक ब्रह्मांड में फैली रहती हैं, जब तक कि वे अंतरतारकीय माध्यम (interstellar medium) में पूरी तरह विलीन न हो जाएं। SNR J0450.4-7050, जिसे वैज्ञानिकों ने अब ‘Veliki‘ नाम दिया है (सर्बियन भाषा में Veliki का अर्थ होता है ‘बड़ा’), लगभग 45,000 साल पुराना है और इसके आकार की बात करें तो यह लगभग 332 x 244 प्रकाश वर्ष में फैला हुआ है।
NASA के अनुसार, इस प्रकार के अध्ययन न सिर्फ सुपरनोवा के प्रभावों को समझने में मदद करते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि जब कोई तारा फटता है तो उससे निकली ऊर्जा और पदार्थ ब्रह्मांड के अन्य हिस्सों को कैसे प्रभावित करते हैं। SNRs में वह सामग्री होती है जो विस्फोट के दौरान तारे से बाहर निकली होती है, साथ ही वे पदार्थ भी जो इस झटके की तरंग (shockwave) से रास्ते में बह जाते हैं।
इस अध्ययन का फोकस सिर्फ हमारी आकाशगंगा (Milky Way) तक सीमित नहीं रहा। वैज्ञानिकों ने Large Magellanic Cloud (LMC), जो हमारी गैलेक्सी से बाहर की एक सैटेलाइट गैलेक्सी है, उसमें मौजूद SNRs पर फोकस किया। LMC में सुपरनोवा अवशेषों की अच्छी-खासी संख्या है और उन्हें विस्तार से समझना वैज्ञानिकों को अंतरतारकीय प्रक्रियाओं और विकास के अलग-अलग चरणों में ब्रह्मांड की कार्यशैली को समझने में मदद करता है।
Veliki की विशेषता केवल उसका आकार नहीं है, बल्कि इसकी आंतरिक और बाहरी परतों की जटिल संरचना भी वैज्ञानिकों के लिए कौतूहल का विषय बनी हुई है। इसमें तारों के फटने के बाद बनने वाली पतली रेखाओं (filamentary structures) की विस्तृत रूपरेखा पाई गई है। ऑस्ट्रेलियन स्क्वायर किलोमीटर एरे पाथफाइंडर (ASKAP) और MeerKAT रेडियो टेलीस्कोप की मदद से इस पर बारीकी से निगरानी रखी गई।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि Veliki में जो रेडियो उत्सर्जन मिले, वह आम SNRs से काफी अलग थे। इसका रेडियल सरफेस ब्राइटनेस (Surface Brightness) बहुत ज्यादा था और इसका रेडियो स्पेक्ट्रल इंडेक्स काफी कम था, जो इस बात का संकेत देता है कि यह अवशेष पूरी तरह से radiative phase में है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस सुपरनोवा अवशेष में उच्च स्तर की शॉक कम्प्रेशन (shock compression ratio) मौजूद है, जो इसकी non-thermal spectral properties को दर्शाता है।
हालांकि ये निष्कर्ष बेहद रोचक हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी और भी गहन पर्यवेक्षण की आवश्यकता है ताकि Veliki के चारों ओर के वातावरण और इसकी प्रकृति को बेहतर तरीके से समझा जा सके।