बिहार की राजधानी पटना में मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से प्रेरित एक अत्याधुनिक रेलवे टर्मिनल बनने जा रहा है। इस नए टर्मिनल का निर्माण 4.80 एकड़ भूमि पर 950 मिलियन रुपये के अनुमानित निवेश से किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाना है।
आधुनिक सुविधाएं, बेहतर कनेक्टिविटी और मौजूदा पटना जंक्शन पर भीड़भाड़ को कम करके।
इस परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दो दिवसीय बिहार दौरे के दौरान वर्चुअली रखी थी। बिक्रमगंज में लोगों को संबोधित करते हुए, जहां उन्होंने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया, प्रधानमंत्री ने टर्मिनल के निर्माण की भी शुरुआत की। इस कार्यक्रम में राज्य के अधिकारी और रेलवे के प्रतिनिधि मौजूद थे।
नए पटना रेलवे टर्मिनल की मुख्य विशेषताएं:
रणनीतिक स्थान और लेआउट
टर्मिनल का निर्माण मौजूदा पटना जंक्शन के ठीक पश्चिम में, हार्डिंग पार्क (वीर कुंवर सिंह पार्क) के सामने किया जा रहा है। 4.80 एकड़ में फैले इस टर्मिनल को पटना जंक्शन पर भीड़भाड़ कम करने और आधुनिक तथा निर्बाध आवागमन का अनुभव प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
950 मिलियन रुपये का निवेश
950 मिलियन रुपये के कुल बजट में बुनियादी ढांचे का विकास, टर्मिनल निर्माण, बेहतर कनेक्टिविटी और यात्रियों की ज़रूरतों पर केंद्रित सुविधाओं की स्थापना शामिल है।
परियोजना समयसीमा
रेलवे अधिकारियों ने परियोजना के पूरा होने के लिए 18 महीने की समयसीमा तय की है। रिपोर्ट बताती है कि निर्माण अच्छी तरह से चल रहा है, टर्मिनल का 3डी मॉडल 15 जून, 2025 तक सामने आने की उम्मीद है।
प्लेटफ़ॉर्म और ट्रेन हैंडलिंग क्षमता
टर्मिनल में पाँच प्लेटफ़ॉर्म होंगे और हर दिन लगभग 85 यात्री ट्रेनों को हैंडल करने की उम्मीद है। इस विकास से पटना जंक्शन पर बोझ कम करते हुए 100,000 से ज़्यादा दैनिक यात्रियों को सेवा मिलने की उम्मीद है।
परिचालन प्रभाव और ट्रेन कनेक्टिविटी
एक बार चालू होने के बाद, टर्मिनल 85 से ज़्यादा मेमू और लोकल यात्री ट्रेनों को चलाने की सुविधा प्रदान करेगा। ये सेवाएं मुख्य रूप से उत्तरी क्षेत्र के कस्बों और शहरों को जोड़ेंगी।