रिलीज डेट: 27 जून 2025
निर्देशक: विशाल फुरिया
मुख्य भूमिका: काजोल
बॉलीवुड की दमदार अदाकारा काजोल ने एक बार फिर बड़े पर्दे पर वापसी की है, और इस बार वो एक ऐसे किरदार में नजर आ रही हैं, जो न सिर्फ डराता है बल्कि भावनाओं की गहराई में भी ले जाता है। विशाल फुरिया के निर्देशन में बनी फिल्म ‘मां’ (MAA) एक हॉरर-थ्रिलर है, जो भारतीय पौराणिकता और आधुनिक मानसिक संघर्षों को एक साथ पिरोने की कोशिश करती है।
कहानी का सार: जब मां बनी हथियार
‘मां’ की कहानी है अंबिका (काजोल) की — जो एक साहित्य की प्रोफेसर हैं और हाल ही में अपने पति को एक रहस्यमयी दुर्घटना में खो चुकी हैं। पति की मौत के बाद अंबिका अपनी बेटी श्वेता के साथ पश्चिम बंगाल के एक सुदूर गांव चंद्रपुर पहुंचती हैं। यह गांव उनके दिवंगत पति की पैतृक भूमि है, लेकिन यहां कदम रखते ही एक अजीब और भारी माहौल उन्हें घेर लेता है।
धीरे-धीरे खुलते हैं रहस्य — गांव सदियों पुराने एक शाप से जकड़ा हुआ है, जिसका संबंध है एक प्राचीन भूतिया वटवृक्ष और काली माता की कथा से, जिसमें रक्तबीज नाम के राक्षस का भी उल्लेख है। यह कोई आम डरावनी कहानी नहीं, बल्कि एक ऐसी परंपरा और विश्वास से जुड़ी कहानी है, जो पीढ़ियों से लोगों की मानसिकता और जीवन को प्रभावित करती आ रही है।
काजोल की परफॉर्मेंस: एक मां के भीतर का तूफान
काजोल ने अपने करियर में कई यादगार किरदार निभाए हैं, लेकिन ‘मां’ में उनका अभिनय एक अलग ही स्तर पर नजर आता है। उन्होंने ना केवल डर को महसूस करवाया, बल्कि एक मां के साहस, ममता और आत्मबल को बेहद संजीदगी से पेश किया है।
कई दृश्यों में उनकी आंखों में जो दर्द और आक्रोश नजर आता है, वह अभिनय से ज्यादा अंतरात्मा से निकला हुआ प्रतीत होता है। खासकर जब वह बेटी की सुरक्षा के लिए खुद शापित रहस्य का सामना करती हैं, तो दर्शकों को सिर्फ डर नहीं लगता, बल्कि उनसे एक भावनात्मक जुड़ाव भी बन जाता है।
टेक्निकल पक्ष: विजुअल्स और साउंड का प्रभावशाली मिश्रण
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और साउंड डिजाइन बहुत ही प्रभावशाली है। कई सीक्वेंस में बैकग्राउंड म्यूजिक ही डर को गहराई से दर्शाता है, बिना किसी ज़ोरदार साउंड इफेक्ट के। सिनेमैटोग्राफी गांव के रहस्यमय वातावरण को प्रभावी ढंग से दिखाती है — खासकर रात के दृश्यों में कैमरा एंगल और लाइटिंग बेहद शानदार हैं।
दर्शकों की प्रतिक्रिया: ट्विटर और सोशल मीडिया पर क्या है माहौल
X (पूर्व में ट्विटर) पर कई दर्शकों ने फिल्म की तुलना ‘स्त्री, बुलबुल और छोरी 2’ जैसी फिल्मों से की है। यानि, यह फिल्म भी डर के साथ भावनाओं की परतें खोलती है। कुछ दर्शकों ने फिल्म की कहानी को थोड़ा ‘पहले जैसा’ जरूर बताया, लेकिन सर्वसम्मति से काजोल की परफॉर्मेंस को जबरदस्त सराहना मिल रही है।
क्या यह फिल्म देखने लायक है?
अगर आपको पौराणिकता में लिपटा सस्पेंस, मानसिक डर, और एक मां की जद्दोजहद देखने का शौक है, तो ‘मां’ आपके लिए एक प्रभावशाली अनुभव हो सकता है। यह सिर्फ हॉरर नहीं है, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा है जो दिल और दिमाग दोनों को छूती है।