छोटे शहर कैसे बना रहे हैं भारत की इलेक्ट्रिक दोपहिया क्रांति का केंद्र?
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बढ़ती लोकप्रियता अब सिर्फ मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं है। सूरत, इंदौर, पटना और कोयंबटूर जैसे टियर-2 और टियर-3 शहरों में दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है। यहां के युवा, छोटे व्यापारी और मध्यमवर्गीय परिवार EV की सस्ती रनिंग कॉस्ट और कम रखरखाव खर्च की वजह से पेट्रोल वाहनों को छोड़ इलेक्ट्रिक विकल्प अपना रहे हैं।
क्यों छोटे शहरों में EV दोपहिया चल रहा है?
किफायती चार्जिंग और लंबी बैटरी लाइफ
छोटे शहरों में दैनिक यात्रा की दूरी 30-40 किमी से ज्यादा नहीं होती, जिसे एक चार्ज में आसानी से पूरा किया जा सकता है। Ola, Ather और Hero Electric जैसी कंपनियों के मॉडल अब 100-120 किमी तक की रेंज देते हैं, जो शहर के लिए पर्याप्त है। साथ ही, पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के बीच EV की चार्जिंग लागत महज ₹1-1.5 प्रति किमी है।
सरकारी सब्सिडी और स्थानीय इंसेंटिव
केंद्र सरकार की FAME-II योजना और राज्य सरकारों की अतिरिक्त सब्सिडी (जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश) ने EV की कीमतें और कम की हैं। कई राज्यों में रजिस्ट्रेशन और रोड टैक्स में छूट भी मिल रही है, जिससे खरीदारी आसान हुई है।
घर-घर चार्जिंग और लोकल मैकेनिक्स की उपलब्धता
बड़े शहरों में चार्जिंग स्टेशनों की कमी एक बड़ी समस्या है, लेकिन छोटे शहरों में लोग घर पर ही सामान्य पॉइंट से रातभर चार्ज कर लेते हैं। साथ ही, स्थानीय मैकेनिक्स भी अब EV की बेसिक सर्विसिंग सीख रहे हैं, जिससे रखरखाव आसान हो गया है।
युवाओं का ट्रेंड अपनाना और ब्रांड ट्रस्ट
छोटे शहरों के युवा अब टेक-सेवी हो चुके हैं। Ola S1 Pro, Ather 450X और TVS iQube जैसे स्मार्ट स्कूटर की फीचर्स (जैसे ऐप कनेक्टिविटी, नेविगेशन) उन्हें आकर्षित कर रही हैं। साथ ही, हीरो और बजाज जैसे पारंपरिक ब्रांड्स के EV मॉडल्स पर लोगों को भरोसा भी ज्यादा है।
सफलता की कहानियाँ: इंदौर, सूरत और पटना से सबक
- -इंदौर (मध्य प्रदेश): यहां स्थानीय ऑटो डीलरों ने EV शोरूम्स को प्रमोट किया, जिससे बिक्री बढ़ी। साथ ही, शहर में सार्वजनिक चार्जिंग पॉइंट्स की अच्छी संख्या है।
- -सूरत (गुजरात): सूरत के छोटे व्यापारी और कॉलेज स्टूडेंट्स EV को कम्यूटिंग के लिए तेजी से अपना रहे हैं। यहां EV फाइनेंस ऑप्शन्स भी आसानी से उपलब्ध हैं।
- -पटना (बिहार) राज्य सरकार की EV पॉलिसी और लिथियम बैटरी वाहनों पर अतिरिक्त छूट ने खरीदारी को बढ़ावा दिया है।
चुनौतियाँ अभी बाकी हैं
-चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर: अभी भी कई शहरों में पब्लिक चार्जिंग स्टेशन्स की कमी है।
-हाई अपफ्रंट कॉस्ट:अगर सब्सिडी न मिले, तो EV की कीमत पेट्रोल वाहनों से 20-30% ज्यादा होती है।
बैटरी रिप्लेसमेंट का डर: लंबे समय में बैटरी बदलने का खर्च (₹20,000-40,000) अभी भी ग्राहकों को चिंतित करता है